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पूर्व मंत्री का सनसनीखेज खुलासा - कोरबा को अगला तूतीकोरन बनने से रोकने का प्रधानमंत्री से आग्रह

  • Media Samvad Editor
  • 1 hour ago
  • 6 min read

कोरबा | 14-12-2025 छत्तीसगढ़ के पूर्व राजस्व मंत्री श्री जयसिंह अग्रवाल द्वारा बालको के वेदांता प्रबंधन पर जहरीली गैस हवा में उत्सर्जित करने एवं सरकारी विभागों से मिलीभगत कर कारखाने के संचालन की अनुमति प्राप्त करने के सनसनीखेज आरोप लगाए गए हैं ।


पूर्व मंत्री द्वारा प्रधानमंत्रीजी को पत्र लिख कर तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए , चिंता जाहीर की है की बालको के वेदांता प्रबंधन द्वारा कोरबा को तूतीकोरन की तर्ज पर खडा कर दिया गया है ।

पूर्व मंत्री श्री जयसिंह अग्रवाल नें अपने पत्र में खुलासा किया है :

भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) द्वारा एल्यूमिनियम उत्पादन के दौरान वायु प्रदूषण मानकों का खुलेआम उनलंघन किया जा रहा है , यह उनलंघन न सिर्फ कानून की अवहेलना है , बल्कि आम जन-जीवन, बच्चों, पशु-धन, कृषि एवं पर्यावरण के लिए दीर्घकालिक व पीढ़ीगत संकट उत्पन्न कर रहा है ।

पूर्व मंत्री द्वारा बालको में केंद्र सरकार की 49% हिस्सेदारी को वर्णित करते हुए, सरकार के निष्प्रभावी नियंत्रण पर भी सवालिया निशान खडा किया गया है।

बालको प्रबंधन पर अत्यंत संगीन आरोप

भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (BALCO) का कोरबा स्थित एल्यूमिनियम स्मेल्टर संयंत्र कानूनी रूप से अनुमत सीमाओं को लांघकर ज़हरीला प्रदूषण फैला रहा है, जिससे एक बड़ा जन स्वास्थ्य संकट पैदा हो गया है। कंपनी द्वारा ही प्रस्तुत की गई प्रयोगशाला रिपोर्टों के अनुसार, यह प्रदूषण राष्ट्रीय मानकों से 3,000% तक अधिक पाया गया है, जो एक चौंकाने वाला और अस्वीकार्य उल्लंघन है।

प्रदूषण का ज़हर: पार्टिकुलट मैटर और फ्लोराइड

इस संकट को समझने के लिए, हमें दो मुख्य प्रदूषकों के बारे में जानना होगा: पार्टिकुलेट मैटर और हाइड्रोजन फ्लोराइड।

पार्टिकुलेट मैटर (PM)

  • यह क्या है? पार्टिकुलेट मैटर हवा में मौजूद धूल, गंदगी और धुएं के बेहद छोटे कणों के लिए एक वैज्ञानिक शब्द है। ये कण इतने छोटे होते हैं कि वे सांस के साथ आसानी से हमारे फेफड़ों में गहराई तक चले जाते हैं।

  • यह खतरनाक क्यों है? एक बार फेफड़ों में पहुंचने के बाद, ये कण गंभीर श्वसन समस्याएं पैदा कर सकते हैं, जैसे जलन, सांस लेने में कठिनाई, और लंबे समय तक संपर्क में रहने से हृदय एवं फेफड़ों की स्थायी बीमारियां हो सकती हैं।

हाइड्रोजन फ्लोराइड (HF)

  • यह क्या है? हाइड्रोजन फ्लोराइड एक अत्यधिक ज़हरीली गैस है जो एल्यूमीनियम smelting की प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न होती है।

  • इसकी सबसे खतरनाक विशेषता: यह एक "लगातार और संचयी विष" (persistent and cumulative toxin) है। इसका मतलब है कि यह आसानी से नष्ट नहीं होता और समय के साथ पर्यावरण—जैसे मिट्टी, पानी, फसलों—और जीवित प्राणियों के शरीर में जमा होता रहता है। इसके विनाशकारी प्रभाव दशकों तक बने रह सकते हैं, जिससे यह न केवल वर्तमान बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक गंभीर खतरा बन जाता है। इससे आंख-नाक-गला-फेफड़ों में तीव्र जलन, दंत व अस्थि फ्लोरोसिस (विशेषकर बच्चों में), पशुधन में मृत्यु व दूध उत्पादन में गिरावट, फसलों का झुलसना, और मिट्टी व भूजल का दीर्घकालिक विषाक्त प्रदूषण होता है।

इन खतरों को ध्यान में रखते हुए, आइए उन अकाट्य सबूतों को देखें , जो पूर्व मंत्री द्वारा प्रधानमंत्री जी को प्रेषित किए गए हैं , जो बताते हैं कि BALCO इन ज़हरीले पदार्थों को कितनी बड़ी मात्रा में हवा में छोड़ रहा है।

अकाट्य सबूत: BALCO के अपने आंकड़े

प्रदूषण के सबूतों के लिए किसी बाहरी जांच की आवश्यकता ही नहीं है। BALCO द्वारा नियामक को सौंपे गए आधिकारिक प्रयोगशाला रिपोर्ट ही इस गंभीर उल्लंघन का अकाट्य प्रमाण हैं। यह कंपनी द्वारा अपनी विफलता की स्पष्ट स्वीकृति है।

फरवरी 2025 की इन रिपोर्टों से पता चलता है कि प्रदूषण का स्तर राष्ट्रीय मानकों से कहीं ज़्यादा है:

प्रदूषक (Pollutant)

उल्लंघन का स्तर (कानूनी सीमा की तुलना में)

पार्टिकुलेट मैटर (PM)

राष्ट्रीय मानक का 2700% से 3300% अधिक

फ्लोराइड उत्सर्जन

राष्ट्रीय मानक का 256%

इन आंकड़ों का मतलब है कि BALCO कानूनी रूप से अनुमत सीमा से 28 से 34 गुना अधिक पार्टिकुलेट मैटर प्रदूषण और 2.5 गुना अधिक फ्लोराइड प्रदूषण फैला रहा था। ये मामूली उल्लंघन नहीं हैं; ये प्रदूषण नियंत्रण प्रणालियों की एक निरंतर और प्रणालीगत विफलता को दर्शाते हैं।

पूर्व मंत्री द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत प्राप्त - विमटा लैब्स रिपोर्ट्स (Vimta Labs Reports) दिनांक फरवरी 2025, BALCO द्वारा 25 मार्च, 2025 को बालको द्वारा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को प्रस्तुत की गई - की प्रतिलिपि अपने पत्र के साथ संलग्न की गई हैं ।

ये आंकड़े सवाल खड़े करते हैं: आखिर इतनी बड़ी चूक कैसे हुई? इसका जवाब कंपनी के वादों और नियामक की विफलताओं में छिपा है।

यह कैसे हुआ? वादे, विफलताएं और मिलीभगत

यह पर्यावरणीय संकट रातों-रात पैदा नहीं हुआ। यह असंभव वादों, तकनीकी विफलताओं और नियामक की निष्क्रियता का परिणाम है।

1. मूल कारण - एक असंभव वादा

BALCO ने अपने संयंत्र के विस्तार की अनुमति एक शर्त मानकर हासिल की थी: वह प्रति टन एल्यूमीनियम उत्पादन में फ्लोराइड की खपत 10 किलोग्राम से कम रखेगा। यह वादा "वैज्ञानिक रूप से असंभव" था। यह भौतिकी और रसायन विज्ञान के मूलभूत नियमों को अनदेखा करने जैसा था—कंपनी ने एक ऐसा लक्ष्य निर्धारित किया जिसे प्राप्त करना तकनीकी रूप से संभव ही नहीं था, क्योंकि एल्यूमीनियम smelting के लिए न्यूनतम 15-20 किलोग्राम प्रति टन फ्लोराइड की आवश्यकता होती है। बालको को अनुमति जारी करने के तीन वर्ष बाद , सरकार की अपनी अधिसूचना ने इस मानक को 20 किलोग्राम प्रति टन में संशोधित किया, जिससे यह साबित होता है कि मूल शर्त त्रुटिपूर्ण और अप्राप्य थी। - प्रश्न यह उठता है कि

क्या पर्यावरण विभाग ने तीन वर्षों तक बालको को जारी की गई अनुमति मे शर्त को अनदेखा कर दिया?
क्या बालको द्वारा पिछले तीन वर्षों तक पर्यावरण विभाग को फ्लोराइड खपत के गलत आँकड़े प्रस्तुत किए गए?

2. नियामक विफलता - सबूतों को नज़रअंदाज़ करना

यह स्थिति तब और भी गंभीर हो जाती है जब हम नियामक संस्थाओं की भूमिका देखते हैं, जिन्होंने स्पष्ट सबूतों के बावजूद कार्रवाई नहीं की:

  • डेटा प्रस्तुत किया गया: BALCO ने अपनी रिपोर्टें प्रस्तुत कीं जिनमें 3,000% से अधिक के उल्लंघन को स्पष्ट रूप से दिखाया गया था।

  • डेटा प्राप्त हुआ: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के क्षेत्रीय अधिकारी को ये रिपोर्टें 'संचालन की सहमति' (Consent to Operate) के आवेदन के हिस्से के रूप में मिलीं।

  • अनुमोदन की सिफारिश: इन विनाशकारी उल्लंघनों के अकाट्य सबूतों के बावजूद, बिना किसी जांच या स्पष्टीकरण की मांग के, संयंत्र को संचालित करने की सहमति देने की सिफारिश कर दी गई।

इस तरह की विफलताएं केवल कागज़ी कार्रवाई की गलतियां नहीं हैं; इनका कोरबा के लोगों और देश के कानूनों पर वास्तविक और खतरनाक प्रभाव पड़ता है।

मानवीय कीमत और कानूनी उल्लंघन

यह केवल एक नियामक या प्रक्रियात्मक मुद्दा नहीं है; यह सीधे तौर पर मानव जीवन और कानून के शासन से जुड़ा है।

जन स्वास्थ्य संकट

यह कोरबा के लाखों नागरिकों के लिए एक जन स्वास्थ्य का मामला है। जैसा कि पहले बताया गया है, हाइड्रोजन फ्लोराइड एक संचयी विष है जो स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र और आबादी के लिए एक गंभीर, दीर्घकालिक खतरा पैदा करता है। यह स्थिति हमें तमिलनाडु के तूतीकोरिन में हुए वेदांता स्टरलाइट कॉपर हादसे की दर्दनाक याद दिलाती है, जहां प्रदूषण के खिलाफ हुए आंदोलन में कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। इतिहास को कोरबा में दोहराने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

कानूनों का उल्लंघन

BALCO की कार्रवाइयां भारत के मुख्य पर्यावरण कानूनों का सीधा उल्लंघन हैं:

  • पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986: निर्धारित उत्सर्जन मानकों का उल्लंघन करना।

  • पर्यावरणीय स्वीकृति की विशिष्ट शर्तों का उल्लंघन (संख्या 15): परमिट की उस मूलभूत शर्त को तोड़ना जिस पर यह आधारित था।

  • CPCB उत्सर्जन मानक: फ्लोराइड और पार्टिकुलेट मैटर दोनों के लिए राष्ट्रीय सीमाओं का उल्लंघन।

  • EC शर्तों का खंड X: एक असंभव वादे के आधार पर अनुपालन का दावा करके संभावित रूप से झूठे या मनगढ़ंत डेटा जमा करना।

  • एहतियाती सिद्धांत (The Precautionary Principle): पूर्वानुमेय पर्यावरणीय नुकसान की जानबूझकर अनदेखी करना और प्रदूषणकारी संचालन जारी रखना।

पूर्व मंत्री के द्वारा प्रधानमंत्री जी को लेख किया गया है :

"विशेष रूप से उल्लेखनीय है, वेदान्त प्रबंधन द्वारा संचालित बालको , कोरबा में स्थित है, इसी समूह की कंपनी तमिलनाडु के तूतीकोरन में स्टरलाइट कापर संयंत्र को प्रदूषण मानकों की उपेक्षा किए जाने हेतु व्यापक पैमाने पर जन आदोंलन की वजह से जिसमे कुछ लोगों को अपनी जान भी गँवानी पड़ी थी , की वजह से सरकार द्वारा बंद कर दिया गया । इसी प्रकार के गंभीर मुद्दे पर बालको द्वारा जन-स्वास्थ्य से खिलवाड़ करते हुए वातावरण व्यापक पैमाने पर फैलाए जा रहे गंभीर प्रदूषण को लेकर सरकार की उदासीनता की वजह से कोरबा के जन-सामान्य भी कहीं तूतीकोरन की राह पर चलने के लिए विवश न हो जाएं"

निष्कर्ष: इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, एक तत्काल और निर्णायक हस्तक्षेप की मांग की गई है।

संक्षेप में, BALCO ने एक असंभव वादे के आधार पर विस्तार की अनुमति हासिल की, अपने ही डेटा से पुष्टि किए गए भारी प्रदूषण के साथ उस वादे को तोड़ा, और नियामकों ने स्पष्ट सबूतों के बावजूद इसे मंजूरी देने की सिफारिश की। यह कॉर्पोरेट लापरवाही और नियामक विफलता का एक स्पष्ट मामला है। इस संकट को दूर करने के लिए, निम्नलिखित निर्णायक हस्तक्षेपों का अनुरोध किया गया है:

  1. संचालन की सहमति रद्द करें और जांच करें: BALCO की 'संचालन की सहमति' को तुरंत रद्द करें और उन अधिकारियों की एक औपचारिक, समयबद्ध जांच शुरू करें जिन्होंने घोर उल्लंघनों के सबूत होने के बावजूद इसके अनुमोदन की सिफारिश की थी।

  2. विस्तार परियोजना की EC निलंबित करें: BALCO की विस्तार परियोजना के लिए दी गई पर्यावरणीय स्वीकृति (EC) को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए।

  3. दंडित करें और नुकसान की भरपाई कराएं: पर्यावरणीय मंजूरी की शर्तों के स्पष्ट उल्लंघन के लिए आपराधिक प्रकरण दर्ज करें ,अधिकतम वित्तीय दंड लगाएं और हुए नुकसान को ठीक करने के लिए BALCO पर एक पर्याप्त पर्यावरण बहाली लागत (Environment Restoration Cost) लगाएं।

  4. नागरिकों को मुआवज़ा दें: पर्यावरण को हुए नुकसान के लिए प्रभावित नागरिकों, किसानों और पशुपालकों को उचित मुआवज़ा प्रदान किया जाए।

  5. जवाबदेही तय करें: इस विफलता के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और कंपनी प्रबंधन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।


 
 
 

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