स्टैंडिंग ऑर्डर फॉर्जरी इन BALCO
- Media Samvad Editor
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प्रस्तावना
यह मामला किसी वेतन या स्थानांतरण विवाद का नहीं है —यह श्रमिकों की कानूनी पहचान की चोरी का मामला है। BALCO प्रबंधन ने केवल लाभ नहीं रोका, बल्कि फर्जी दस्तावेज़ (Standing Order) का प्रयोग करके श्रमिकों की कानूनी हैसियत को समाप्त कर दिया।
यह कोई लेबर डिस्प्यूट नहीं, बल्कि Industrial Identity Theft है, जिसे अब माननीय न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468 और 471 के अंतर्गत आपराधिक अपराध माना है।
घटनाक्रम की समयरेखा
| वर्ष | घटना | 
| 2017-18 | बालको कारखाने में श्रमिकों के लिए वेतन समझौता हुआ – लगभग 6000 श्रमिक लाभान्वित हुए। | 
| 2021-22 | BALCO प्रबंधन ने वेतन समझौते का पुनरीक्षण न करते हुए भ्रष्ट प्रतिनिधियों के साथ मिलकर इसे एक “स्कीम” का रूप दे दिया। | 
| परिणाम स्वरूप हजारों श्रमिकों की वार्षिक वृद्धि, पदोन्नति और अन्य सुविधाएँ छीन ली गईं। | |
| आंदोलन की शुरुआत | बालको कर्मचारी संघ (BMS) के महासचिव श्री हरीश सोनवानी ने अमानवीय कृत्य के विरोध में नोटिस जारी किया और सुलह वार्ता विफल होने पर हजारों श्रमिकों ने आंदोलन आरंभ किया। | 
| BALCO का कदम | प्रबंधन ने माननीय श्रम न्यायालय से आंदोलन पर अस्थायी रोक का आदेश प्राप्त किया। | 
कूटरचना (Forgery) का उद्भव
श्री हरीश सोनवानी ने BALCO द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत दस्तावेज़ों का अवलोकन किया तो स्पष्ट हुआ कि:
BALCO प्रबंधन ने फर्जी (कूटरचित) स्थायी आदेश प्रस्तुत कर न्यायालय को गुमराह किया और मजदूरों के आंदोलन पर रोक लगवा ली।
मूल स्थायी आदेश (Original Standing Orders)
- कामगारों का वर्गीकरण: स्थायी / अस्थायी / अप्रेंटिस 
- प्रावधान:“यदि कोई अस्थायी कामगार छह माह तक निरंतर कार्य करता है, तो उसे स्थायी कामगार माना जाएगा।” 
BALCO ने इसी प्रावधान को हटा कर नया फर्जी दस्तावेज़ तैयार किया।
न्यायालय में भ्रामक दस्तावेज़ प्रस्तुत करने की साज़िश
- BALCO प्रबंधन ने इन फर्जी दस्तावेज़ों को माननीय न्यायालय के समक्ष रखा। 
- अदालत को यह विश्वास दिलाया कि ये ही “वैध स्थायी आदेश” हैं। 
- न्यायालय से आंदोलन स्थगित कराने का आदेश ले लिया। 
परंतु श्री हरीश सोनवानी ने अपने अधिवक्ता एडवोकेट अब्दुल नफ़ीस ख़ान के माध्यम से यह भ्रष्टाचार साक्ष्य सहित प्रस्तुत किया।
न्यायालय की प्रतिक्रिया
माननीय श्रम न्यायालय ने:
- BALCO प्रबंधन को कठोर फटकार लगाई 
- चेतावनी दी कि भविष्य में ऐसी पुनरावृत्ति न हो 
आपराधिक प्रकरण की शुरुआत
- श्री सोनवानी ने BALCO नगर थाने में फर्जी दस्तावेज़ के आधार पर श्रमिकों को आर्थिक हानि के विरोध में शिकायत दर्ज कराने का आवेदन दिया। 
- थाना प्रशासन ने मामले की गंभीरता देखते हुए उन्हें धारा 200 CrPC के अंतर्गत न्यायालय में मुकदमा दायर करने की अनुमति दी। 
- श्री सोनवानी ने अपने अधिवक्ता अब्दुल नफ़ीस ख़ान के साथ प्रकरण दायर किया और शपथ पत्र पर साक्ष्य प्रस्तुत किए। 
BALCO की बदले की कार्रवाई
- BALCO प्रबंधन ने बिना संराधन अधिकारी की अनुमति लिए अवैध रूप से श्री हरीश सोनवानी का बैंगलोर स्थानांतरण किया। 
- विरोध करने पर उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। 
- श्री सोनवानी ने बर्खास्तगी को अवैधानिक बताते हुए श्रम न्यायालय, कोरबा में मुकदमा दायर किया। 
BALCO की दूसरी कूटरचना
- BALCO की ओर से भूपेश श्रीसंत ने शपथपत्र दाखिल करते हुए । 
- इन दस्तावेजों की प्रतिलिपि श्री हरीश सोनवानी को न्यायालय से प्राप्त हुई। 
- श्री हरीश सोनवानी द्वारा दस्तावेज अवलोकन मे यह पाया गया की , बालको के एच.आर अधिकारी भूपेश श्रीसंत द्वारा शपथ पत्र दायर कर , पुनः कूटरचित स्थाई आदेश प्रस्तुत किए गए हैं । 
- इस बार ये दस्तावेज़ पंजीकृत भी नहीं थे — यह पूर्णतः अवैध एवं आपराधिक कृत्य है । 
न्यायालय ने दस्तावेजों का परीक्षण कर पाया कि:
- BALCO प्रबंधन ने जानबूझकर फर्जी स्थायी आदेश तैयार कर उपयोग किया। 
- इससे हजारों श्रमिकों को आर्थिक एवं सामाजिक हानि हुई। 
- यह कृत्य न केवल धोखाधड़ी है, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया से छेड़छाड़ भी है। 
- आरोपियों ने बार-बार अपराध की पुनरावृत्ति की, जिससे कंपनी के विरुद्ध दंडनीय अपराध सिद्ध होता है। 
न्यायालय का आदेश (Court’s Cognizance)
माननीय न्यायालय ने संज्ञान लेते हुए आदेशित किया:
“साक्ष्यों एवं प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार परअभियुक्तों के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा420, 467, 468 एवं 471 के अंतर्गतदंडनीय अपराध हेतु प्रकरण पंजीबद्ध किया जाता है।”
यह आदेश यह सिद्ध करता है कि –अब BALCO “प्रबंधन” नहीं, बल्कि “अभियुक्त संस्था” है।
अपराध की प्रकृति (Nature of Offence)
| धारा | अपराध का प्रकार | विवरण | 
| 420 | धोखाधड़ी | न्यायालय एवं श्रमिकों को गुमराह कर अनुचित लाभ लेना | 
| 467 | मूल्यवान दस्तावेज़ की जालसाजी | स्थायी आदेश जैसे वैधानिक दस्तावेज़ों की फर्जी तैयारी | 
| 468 | धोखा देने हेतु जालसाजी | आंदोलन रोकने व अधिकार छीनने का उद्देश्य | 
| 471 | फर्जी दस्तावेज़ का प्रयोग | फर्जी स्थायी आदेशों को वास्तविक बताकर न्यायालय में उपयोग | 
ये सभी अपराध: गैर-जमानती (Non-bailable) और गैर-समझौतायोग्य (Non-compoundable) हैं।
श्रमिकों पर प्रभाव (Impact on Workers)
BALCO की इस कूटरचना से जो नुकसान हुआ वह केवल वित्तीय नहीं था,बल्कि कानूनी अस्तित्व और आत्मसम्मान का हनन था।
| प्रभावित अधिकार | वास्तविक हानि | 
| स्थायी दर्जा | कानूनी पहचान समाप्त | 
| वेतन वृद्धि व पदोन्नति | स्थगित या समाप्त | 
| ग्रेच्युटी, बोनस, भत्ता | रोक या घटाव | 
| वरिष्ठता व सेवा मूल्य | मिटा दी गई | 
| श्रमिक गरिमा | “मानव संसाधन” से “खर्च योग्य वस्तु” में परिवर्तन | 
कानूनी निष्कर्ष (Legal Finding Summary)
- फर्जीवाड़े की पुष्टि 
- बार-बार अपराध की पुनरावृत्ति 
- अदालत को गुमराह करने का साक्ष्य 
- श्रमिकों की पहचान से छेड़छाड़ 
- सामाजिक व आर्थिक हानि सिद्ध 
इस प्रकार अब मामला “औद्योगिक विवाद” नहीं बल्कि “आपराधिक अपराध” बन चुका है।
व्हिसलब्लोअर का साहस (The Courage Behind the Case)
श्री हरीश सोनवानी(महासचिव, बालको कर्मचारी संघ – BMS) ने सत्य के लिए अकेले लड़ाई लड़ी —उनके अधिवक्ता एडवोकेट अब्दुल नफीस खान द्वारा न्यायालय मेंदर्ज किया गया यह प्रकरण आज न्याय की दिशा तय कर रहा है।
“जब दस्तावेज़ झूठ बोलने लगें,तब सच्चाई को बोलने वाला ही संविधान बन जाता है।”
“जब शक्तिशाली कानून को कागज़ से मिटाते हैं,तो मज़दूर इतिहास में अपना नाम लिख देता है।”
BALCO ने फर्जी दस्तावेज़ों से सच को दबाने की कोशिश की,पर न्यायालय ने आदेश देकर यह स्पष्ट कर दिया
“सच दबाया जा सकता है, मिटाया नहीं जा सकता।”





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