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“एक रणनीतिक साझेदार की रणनीति” – भाग 3: मैच-फिक्सिंग

  • Media Samvad Editor
  • Aug 6
  • 2 min read
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बिना ताले की तिजोरी

हमारे पूर्व के लेख रणनीतिक साझेदार की रणनीति- भाग 2 के अगले भाग में वित्त पर स्थाई समिति के अगले विश्लेषण एवं टिप्पणी प्रस्तुत हैं ।

प्रश्न 2:

"क्या वित्त पर स्थायी समिति ने केवल इसी एक तथ्य को मानने से इनकार किया था?"

उत्तर:

बिलकुल नहीं।सच कहें तो, ये सिर्फ़ "शक का बीज" नहीं था — ये तो पूरा भ्रष्टाचार का जंगल था।

आइए अब तक के सभी पोस्टमार्टम को जोड़ते हैं — सरल भाषा में

समिति ने अपनी रिपोर्ट (23 अप्रैल 2002) में साफ कहा:

"देश में एक दशक से विनिवेश चल रहा था, परंतु यह तय करने के लिए कोई दिशा-निर्देश नहीं था कि कौन बोली लगाने के योग्य है और कौन नहीं। जुलाई 2001 में पहली बार कुछ दिशा-निर्देश जारी किए गए — और वो भी आधे-अधूरे।"

साधारण भाषा में मतलब:

"चोरी हो जाने के बाद ताला लगाने का नियम बना!"

और जिन दिशानिर्देशों की बात की गई, वे सिर्फ उन्हीं को रोकते हैं जो राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में दोषी हो चुके हैं या जिन्हें SEBI/RBI ने दोषी ठहराया है। बाकी सब आराम से अंदर आ सकते हैं — चाहे वो डिफॉल्टर हो, शेयर घोटालेबाज़ हो या नैतिक रूप से दिवालिया!

लेकिन असली मज़ा तो तब आया जब:

  • Sterlite कंपनी पहले से ही SEBI की रोक में थी जब BALCO की बिक्री हुई (मार्च 2001)।

  • फिर भी DIPAM ने हंसते हुए कहा – “गाइडलाइंस तो जुलाई 2001 में बनी थी" और मार्च 2001 में योग्यता का कोई मापदंड निर्धारित नहीं था ।

    अनुवाद:

    “अगर चोरी ताले लगने से पहले हुई हो, तो उसे चोरी नहीं कहते, उसे रणनीतिक भागीदारी

    कहते हैं।”

NYSE को दी गई Vedanta की रिपोर्ट – खुद का कबूलनामा:

वेदांता ने खुद Form 20-F , NEW YORK STOCK EXCHANGE(NYSE) में स्वीकृत किया, कि SEBI ने उनके चेयरमैन अनिल अग्रवाल और CFO तरुण जैन पर शेयर भाव में हेरफेर का केस दर्ज किया था।फिर भी — DIPAM ने आंखें मूंद लीं।और Ministry of Mines, जिनके पास BALCO बोर्ड में 4 डायरेक्टर थे — वो मौन व्रत में चली गई। सोर्स :एडगर

(इस संबंध में आगामी लेखों मे प्रकाशित किए जाने वाले लेख - हर्षद मेहता कनेक्शन जरूर पढ़ें)

अब पूछिए ख़ुद से:

क्या वाकई सिर्फ एक ही बात थी जिसे Standing Committee ने नहीं माना था?

चलिए थोड़ा दोहराते हैं:

1.दिशानिर्देश ही नहीं थे जब BALCO बेचा गया।

2.SEBI की रोक को नजरअंदाज किया गया।

3.BALCO की कमाई और लाभ छुपाए गए।

4.RTI को "ट्रेड सीक्रेट" कहकर टाल दिया गया।

5.Ministry of Mines ने BALCO बोर्ड में रहते हुए भी आंखें मूंद लीं।

6.SAT के आदेशों से भी अपराध की बदबू नहीं छुपी।

आम आदमी की समझ:

ये केवल एक गलती नहीं थी — ये पूरी की पूरी सिस्टमेटिक सेटिंग (मैच -फिक्सिंग)थी।जहां गाइडलाइंस से लेकर जवाबदेही तक — सबकुछ पहले से तय स्क्रिप्ट के अनुसार था।

क्या वित्त पर स्थाई समिति नें और भी किन्हीं तथ्यों को संज्ञान में लिया ?? इसका उत्तर जानने के लिए हमारा अगला लेख - रणनीतिक साझेदार की रणनीति” – भाग 4 : कर्मचारियों का कल्याण अवश्य पढ़ें ।


 
 
 

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