रणनीतिक साझेदार की रणनीति – भाग 2: तथ्यों से पर्दा
- Media Samvad Editor
- Aug 5
- 2 min read

हमारे पिछले लेख “रणनीतिक साझेदार की रणनीति” के अगले भाग में अब उन प्रश्नों के उत्तर प्रस्तुत हैं, जो पहले उठाए गए थे।
प्रश्न 1:
क्या वित्त पर स्थायी समिति की टिप्पणियाँ और सिफारिशें स्वीकार की गईं और कोई सुधारात्मक कार्यवाही की गई?
उत्तर: जिम्मेदारियों का टालना
इस महत्वपूर्ण प्रश्न का उत्तर छुपा हुआ है उस RTI आवेदन में, जिसे श्री शशांक दुबे, ज़िला अध्यक्ष (INTUC) ने दायर किया था। RTI आवेदन दिनांक: 29.07.2024,श्री शशांक दुबे ने RTI अधिनियम 2005 के अंतर्गत BALCO को स्टरलाइट इंडस्ट्रीज को बेचे जाने की रणनीतिक प्रक्रिया से संबंधित सभी कार्यों, प्रक्रियाओं और मंत्रिमंडलीय समिति की टिप्पणियों की जानकारी मांगी थी।
विनिवेश मंत्रालय का उत्तर (दिनांक: 21.11.2024)
“उपरोक्त सन्दर्भ में सूचित किया जाता है कि हमारा विभाग DIPAM केंद्र सरकार की निवेश प्रबंधन से जुड़े विषयों का कार्य देखता है, जिनमें CPSEs में इक्विटी निवेश भी शामिल है। सभी अन्य विषय संबंधित मंत्रालय द्वारा देखे जाते हैं। BALCO के मामले में, खान मंत्रालय प्रशासनिक मंत्रालय है, अतः आपकी RTI आवेदन को वहां स्थानांतरित किया गया।”
“...अतः आपके द्वारा मांगी गई जानकारी वर्तमान में RTI अधिनियम की धारा 8(1)(d) के अंतर्गत गोपनीय व्यापार जानकारी, वाणिज्यिक विश्वास और प्रकरण न्यायिक विचाराधीन होने के कारण नहीं दी जा सकती।”
बचने का बहाना
विनिवेश मंत्रालय और खान मंत्रालय ने RTI अधिनियम की धारा 8(1)(d) का प्रयोग कर जवाबदेही से बचने का प्रयास किया। जबकि उन्हें यह स्पष्ट रूप से ज्ञात था कि जानकारी ‘विनिवेश प्रक्रिया’ से संबंधित है, न कि ‘विनिवेश के बाद’ की।
यह कहना कि जानकारी व्यापारिक गोपनीयता है, न केवल कानूनी रूप से संदिग्ध है बल्कि नैतिक रूप से भी अनुचित है।
महत्वपूर्ण साक्ष्य छुपाए गए
यह सब देख कर अब यह सवाल और तीखा हो गया है:“क्या खान मंत्रालय किसी को बचा रहा है?”
BALCO के बोर्ड में 'भारत के राष्ट्रपति' का प्रतिनिधित्व करने वाले चार निदेशकों की उपस्थिति के बावजूद मंत्रालय को अपने सार्वजनिक उत्तरदायित्व की याद दिलाई जानी चाहिए।
आधिकारिक ब्यान (दिनांक: 4 मई 1998)
“सार्वजनिक उपक्रम BALCO ने ₹861.23 करोड़ का टर्नओवर और ₹133.86 करोड़ का लाभ 1997–98 में अर्जित किया... 1998–99 का लक्ष्य ₹175.27 करोड़ का सकल लाभ... ₹157 करोड़ की परियोजना मार्च 2000 तक चालू होगी ... यह सातवां लगातार सफल MoU है , जिसे BALCO के प्रबंध निदेशक एस.के. घोष और खान सचिव बी.बी. टंडन ने 29 अप्रैल 1998 को हस्ताक्षरित किया।”(स्रोत: बिज़नेस स्टैंडर्ड, 4 मई 1998)
सामान्य नागरिक की समझ
जब उपरोक्त बयान को विनिवेश सचिव के पुराने बयान के साथ पढ़ा जाए:
“यह लाभ कमाने वाली कंपनी थी... ₹5.69 करोड़ औसत लाभांश मिलता था... ₹826 करोड़ मिले... अब ₹82.65 करोड़ हर साल मिलेंगे ..”
यह तथ्य कि 826 करोड़ मिले , स्वयं तथ्यों पर प्रशनीय है । और हर साल 82.56 करोड़ का खुलासा आगामी लेखों में प्रकाशित किया जाएगा
उपरोक्त से एक सामान्य नागरिक की समझ से सिर्फ एक निष्कर्ष निकलता है:
“जरूर कुछ गड़बड़ है!”
अगला खुलासा जल्द:
“क्या यही एकमात्र तथ्य था जिसे वित्त पर स्थायी समिति ने मानने से इनकार कर दिया?”
अगले खुलासे के लिए जुड़े रहिए!






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